सोमवार, 5 दिसंबर 2022

PLEURAL EFFUSION

PLEURAL EFFUSION (प्ल्यूरल इफ्यूजन)- Happy Case Series Story✌️
          प्ल्यूरल इफ्यूजन एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ों के बाहर अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ इकट्ठा हो जाता है। 
 
 हमने यहां कुछ प्ल्यूरल इफ्यूजन के मरीज के बारे में बताएंगे-
A. पहले दो मरीज है जिसमें 15 दिन में मरीज पूरी तरह ठीक हो गया- जो कि चेस्ट में परेशानी सुरु होने के तुरंत बाद ही इलाज शुरू कर दिया।
B. तीसरे और चौथे मरीज में मरीज को पूरी तरह ठीक होने में 4-5 महीने लगे - जो कि चेस्ट में परेशानी सुरु होने के तुरंत बाद नहीं आए ।

 
कैसे होती है प्ल्यूरल इफ्यूजन बीमारी 
 
पतली सी जगह में जब तरल पदार्थ जमने लगता है तो सांस लेने में परेशानी होती है
- छाती में दर्द
- सांस फूलना 
- गहरी सांस लेने में दर्द होना
-खांसी होने पर दर्द होना 
- दम घुटना 
 
      यदि आपको किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है लेकिन लगातार छाती में दर्द होना, खांसी होना, दम घुटना, सांस लेने में परेशानी होना जैसे लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने नजदीकी चेस्ट रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। 
 
प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव के उपाय
 
- ध्रूमपान नहीं करें
- शराब का सेवन नहीं करें
- निमोनिया के इलाज में लापरवाही नहीं बरतें
- हार्ट फेलियर नहीं हो ध्यान रखें।
 
प्ल्यूरल इफ्यूजन का कैसे पता लगाएं 
 
इस बीमारी का पता लगाने के लिए निम्न प्रकार की जांच होती है - 
 
1. एक्स रे - सबसे पहले छाती का एक्स-रे किया जाता है। जिससे पता लगाने की कोशिश की जाती है कोई तरल पदार्थ तो नहीं है। 

 
2. अल्ट्रासोनोग्राफी  - इसकी मदद से पता लगाया जा सकता है कि परत पर किसी तरह का द्रव मौजूद तो नहीं है। अगर होता है तो उसका सैंपल लेकर उसकी जांच कर सकते हैं। 
 
3. थेोरासेंटेसिस - इस प्रक्रिया में  चेस्ट रोग विशेषज्ञ द्वारा ही  सुई की मदद से ही फेफड़ों से पानी को निकलवाना चाहिए।

Written by-
Drx. Abhi
अभिषेक कुशवाहा
M.Pharm(pharmacology)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें